भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को मिली ज़मानत की शर्तों में राहत

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद को ज़मानत की शर्तों में राहत दी गई है.

दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने दरियागंज में हिंसा के मामले में भीम आर्मी प्रमुख को सशर्त ज़मानत दी है और अब इन शर्तों में उन्हें राहत देते हुए कोर्ट ने कहा है कि अब वो दिल्ली आ सकते हैं लेकिन दिल्ली आने से पूर्व उन्हें डीसीपी क्राइम को सूचित करना होगा. इसके साथ ही उन्हें दिए गए पते पर ही दिल्ली में रहना होगा.

इससे पूर्व चंद्रशेखर को तीस हज़ारी कोर्ट से सशर्त ज़मानत दी थी. बुधवार 15 जनवरी को कोर्ट ने उनकी जमानत इस शर्त पर मंजूर की थी कि चंद्रशेखर आज़ाद चार सप्ताह तक दिल्ली नहीं आ पाएँगे और चुनाव तक कोई धरना नहीं करेंगे.

नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ भीम आर्मी ने 20 दिसंबर को पुरानी दिल्ली की जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक मार्च करने का एलान किया था. इसके लिए पुलिस से अनुमित नहीं ली गई थी. इसी संबंध में उन्हें दिल्ली के दरियागंज इलाके से गिरफ़्तार किया गया था.

इसके पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे और उनकी कार्रवाई के लिए फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि देश की संसद में जो बातें कही जानी चाहिए थीं वो नहीं कही गईं, इसी वजह से लोग सड़कों पर हैं.

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद को ज़मानत की शर्तों में राहत दी गई है.

दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने दरियागंज में हिंसा के मामले में भीम आर्मी प्रमुख को सशर्त ज़मानत दी है और अब इन शर्तों में उन्हें राहत देते हुए कोर्ट ने कहा है कि अब वो दिल्ली आ सकते हैं लेकिन दिल्ली आने से पूर्व उन्हें डीसीपी क्राइम को सूचित करना होगा. इसके साथ ही उन्हें दिए गए पते पर ही दिल्ली में रहना होगा.

इससे पूर्व चंद्रशेखर को तीस हज़ारी कोर्ट से सशर्त ज़मानत दी थी. बुधवार 15 जनवरी को कोर्ट ने उनकी जमानत इस शर्त पर मंजूर की थी कि चंद्रशेखर आज़ाद चार सप्ताह तक दिल्ली नहीं आ पाएँगे और चुनाव तक कोई धरना नहीं करेंगे.

नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ भीम आर्मी ने 20 दिसंबर को पुरानी दिल्ली की जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक मार्च करने का एलान किया था. इसके लिए पुलिस से अनुमित नहीं ली गई थी. इसी संबंध में उन्हें दिल्ली के दरियागंज इलाके से गिरफ़्तार किया गया था.

इसके पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे और उनकी कार्रवाई के लिए फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि देश की संसद में जो बातें कही जानी चाहिए थीं वो नहीं कही गईं, इसी वजह से लोग सड़कों पर हैं.

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